भक्त मंडली

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

''लंका में सन्नाटा है !!''


नाभि का अमृत सुखा राम ने लंकेश शीश को काटा है !
वानर दल में उत्साह अपार और लंका में सन्नाटा है !!
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भूमि पर गिरा दशानन जब स्तब्ध रह गए त्रिलोक ,
सहसा कैसे विश्वास करें मिट गया पाप का मूल स्रोत ,
ध्वजा कटी अन्याय की फहरी धर्म-पताका है !
वानर दल में उत्साह अपार और लंका में सन्नाटा है !!
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अब सिया-राम का हो मिलन उत्कंठित है लक्ष्मण का उर ,
श्री राम ने भेजा हनुमत को जो चले ह्रदय में हर्ष भर ,
श्री राम भक्त हनुमत को देख अति हर्षित सीता माता हैं !
वानर दल में उत्साह अपार और लंका में सन्नाटा है !!
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बोले हनुमत हे मात ! सुनो श्री राम ने मारा रावण को ,
भगवन ने मुझको भेजा है आदर से आपको लाने को ,
ये दास आपके चरणों में श्रद्धा से शीश झुकाता है !
वानर दल में उत्साह अपार और लंका में सन्नाटा है !!
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पहुंची सीता माता ज्यूँ ही हनुमत के संग श्री राम समक्ष ,
''शुद्धि परीक्षा 'देने की श्री राम ने रख दी कठिन शर्त ,
नाग पितृ-सत्ता का यूँ स्त्री के डंक चुभाता है !
वानर दल में उत्साह अपार और लंका में सन्नाटा है !!
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''अग्नि-परीक्षा'' दे सिया श्री राम के चरणों में झुकी ,
पाकर सीता मृगनयनी को मुदित भये करुणा के निधि ,
जो खेल रचा है होनी ने अनायास ही होता जाता है !
वानर दल में उत्साह अपार और लंका में सन्नाटा है !!
शिखा कौशिक 'नूतन'

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