भक्त मंडली

बुधवार, 26 जून 2013

लंका सहित जला डाला रावण का सब अभिमान




Lord Hanuman
सर्वाधिकार सुरक्षित 




संकट !में हैं  प्राण   ,  हमको कष्ट महान ,
आओ कृपानिधान  ! संकटमोचन श्री हनुमान
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श्रीराम -सुग्रीव मित्रता आपने करवाई थी ,
बाली- वध कर श्रीराम ने मित्रता निभाई थी ,
महावीर तुम कर देते हो हर मुश्किल आसान !
आओ कृपानिधान  ! संकटमोचन श्री हनुमान !
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एक छलाँग  में सौ योजन का अर्णव तुमने पार किया ,
माँ सीता को श्रीराम का अमृतमय सन्देश दिया ,
लंका सहित जला डाला रावण का सब अभिमान !
आओ कृपानिधान  ! संकटमोचन श्री हनुमान !

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मेघनाद ने मारी शक्ति लक्ष्मण जी अचेत हुए ,
लेकर आये तुम संजीविनी जिससे वे सचेत भए ,
राम भक्त सब वीरों में तुम सर्वाधिक बलवान !
आओ कृपानिधान  ! संकटमोचन श्री हनुमान !

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दया करो हम पर भी हनुमत विनती यही हमारी है,
पवन-पुत्र तुमसे बढ़कर ना कोई पर-उपकारी है ,
मूढमति हम  क्या गा सकते तेरा महिमा गान !
आओ कृपानिधान  ! संकटमोचन श्री हनुमान !

            शिखा कौशिक 'नूतन '

शनिवार, 15 जून 2013

सीता अपमान का प्रतिउत्तर !



सीता अपमान का प्रतिउत्तर !
Sita Mata
आज जनकपुर स्तब्ध  भया ;  डोल गया विश्वास है  ,
जब से जन जन को ज्ञात हुआ मिला सीता को वनवास है .

मिथिला के जन जन के मन में ये प्रश्न उठे बारी बारी ,
ये घटित हुई कैसे घटना सिया राम को प्राणों से प्यारी ,
ये कुटिल चाल सब दैव की ऐसा होता आभास है .

हैं आज जनक कितने व्याकुल  पुत्री पर संकट भारी है ?
ये होनी है बलवान बड़ी अन्यायी अत्याचारी है ,
जीवन में शेष कुछ न रहा टूटी मन की सब आस है .

माँ सुनयना भई मूक बधिर अब कहे सुने किससे और क्या ?
क्या इसीलिए ब्याही थी सिया क्यों कन्यादान था हमने किया ?
घुटती   भीतर भीतर माता आती न सुख की श्वास है !

सीता की सखियाँ  रो रोकर हो जाती आज अचेत हैं ,
प्रस्तर से ज्यादा हुआ कठोर श्रीराम का ये साकेत है ,

सीता हित चिंतन करती वे हो जाती सभी उदास हैं !

मिथिलावासी करते हैं प्रण  युग युग तक सभी निभावेंगे ,
पुत्री रह जाये अनब्याही अवध में नहीं ब्याहवेंगें ,
सीता अपमान का प्रतिउत्तर मिथिला के ये ही पास है  !


शिखा कौशिक 'नूतन'

  

बुधवार, 12 जून 2013

फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !

फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !करती रहे करती रहे कल्याण मानवता का !

फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !
करती रहे करती रहे कल्याण मानवता का !

भगवा रंग पताका लगती हम सबको मनभावन , 
भक्ति रस उर में भर देती निर्मल है अति पावन ,
मध्य में अंकित ॐ का  दर्शन सारे पाप मिटाता ! 
फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !
करती रहे करती रहे कल्याण मानवता का !

सारी वसुधा एक कुटुंब है ये सन्देश फैलाती ,
सत्यमेव जयते की जोत हर ह्रदय में ये है जगाती ,
झुकाती रहे झुकाती रहे शीश हर रावण का !
फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !
करती रहे करती रहे कल्याण मानवता का !

कण कण में भगवान बसे हैं सबको है बतलाती ,
प्रेम-अहिंसा करुणा का है नैतिक पाठ पद्धति ,
भर्ती रहे भरती रहे मानव में ये नैतिकता !
फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !
करती रहे करती रहे कल्याण मानवता का !

शिखा कौशिक 'नूतन'



मंगलवार, 11 जून 2013

रहे अधरों पे हनुमत के राम जी का नाम !!

   
Hanuman Ji WallpaperHanuman Ji Wallpaper   
पल  भर न करते तनिक विश्राम  ,
तत्पर  प्रभु  सेवा  को हनुमान  ,
रहे अधरों पे हनुमत के राम जी का  नाम  !!


अर्णव पर किया क्षण भर में सीता माँ को खोजा ,
राम मुद्रिका संग प्रभु का दिया उन्हें संदेसा ,
राम भक्त होने का पाया माता से वरदान !
रहे अधरों पे हनुमत के राम जी का  नाम  !!


Hanuman Ji WallpaperHanuman Ji Wallpaper  


नागपाश में बधें प्रभु लखन  लाल के संग ,
भयाक्रांत हुई वानर सेना उत्साह हुआ था भंग ,
पक्षीराज को लाकर टाला संकट एक महान !
रहे अधरों पे हनुमत के राम जी का  नाम  !!

    

लक्ष्मण  जी के शक्ति मारी मेघनाथ छली था भारी ,
ला संजीवनी प्राण बचाए हनुमत संकट हारी   ,
अंजनी पुत्र की महिमा का त्रिलोकों में गुणगान !
रहे अधरों पे हनुमत के राम जी का  नाम  !!

शिखा कौशिक 'नूतन '






शनिवार, 8 जून 2013

हम लव कुश अपनी जननी पर अभिमान करते हैं

 








हम लव कुश अपनी जननी पर अभिमान करते हैं ,
इन पतिव्रता नारी का सम्मान करते हैं !

अपवाद उठा जब मिथ्या तब वन को गमन किया ,
भीषण कष्टों को सहकर हमको जन्म दिया ,
धर्मचारिणी माता को प्रणाम करते हैं !

प्रथम गुरु माता ने हमको सदाचार सिखलाया ,
दया क्षमा और सेवा  का हमको पाठ  पढाया ,
उपकारी माँ चरणों में निज शीश धरते हैं ! 

अन्याय-पाप से लड़ना माँ हमको सिखलाती ,
कैसे मारा रावण को श्रीराम का यश हैं  गाती ,
संग मात का पाकर हम संस्कारित होते हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'


सोमवार, 3 जून 2013

चुभन में भी मिठास है

Sita : Rama and Sita  

शूल बने फूल हैं , चुभन में भी  मिठास है ,
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !



जिस शीश सजना किरीट था उस शीश पर जटा बंधी 
चौदह बरस वनवास पर चले प्रिय महारथी  ,
 मैं भी चली उस पथ पे ही जिस पथ पे प्राणनाथ हैं !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !



ये है मेरा सौभाग्य  श्री राम की दासी हूँ मैं ,
प्रिय हैं मेरे अमृत सदृश कंठ तक प्यासी हूँ मैं ,
जन्मों-जन्मों के लिए थामा प्रभु का हाथ है !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !



वन वन प्रभु के संग चल चौदह बरस कट जायेंगें ,
भैया लखन को साथ ले वापस अयोध्या आयेंगें ,
होगी सनाथ फिर प्रजा जो हो रही अनाथ है !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !


शिखा कौशिक 'नूतन '